How Shodashi can Save You Time, Stress, and Money.
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The power level in the course of the Chakra displays the very best, the invisible, along with the elusive Middle from which the complete figure Bhandasura and cosmos have emerged.
कर्तुं श्रीललिताङ्ग-रक्षण-विधिं लावण्य-पूर्णां तनूं
Her third eye signifies better notion, aiding devotees see beyond Actual physical appearances on the essence of actuality. As Tripura Sundari, she embodies adore, compassion, along with the joy of existence, encouraging devotees to embrace existence with open hearts and minds.
Charitable functions for instance donating food stuff and dresses to the needy may also be integral to your worship of Goddess Lalita, reflecting the compassionate facet of the divine.
The supremely beautiful Shodashi is united in the guts from the infinite consciousness of Shiva. She eliminates darkness and bestows gentle.
नौमीकाराक्षरोद्धारां सारात्सारां परात्पराम् ।
हस्ताग्रैः शङ्खचक्राद्यखिलजनपरित्राणदक्षायुधानां
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं जगदद्यापि दृश्यते ॥६॥
The legend of Goddess Tripura Sundari, also known as Lalita, is marked by her epic battles from forces of evil, epitomizing the eternal battle between superior and evil. Her tales are not simply tales of conquest but also carry deep philosophical and mythological significance.
श्वेतपद्मासनारूढां शुद्धस्फटिकसन्निभाम् ।
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
The worship of Tripura Sundari is often a journey towards self-realization, wherever her divine elegance serves for a beacon, guiding devotees to the final word truth of the matter.
श्रीमद्-सद्-गुरु-पूज्य-पाद-करुणा-संवेद्य-तत्त्वात्मकं
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति Shodashi के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।